कामारेड्डी 05 फरवरी 2025 : क्या आपने कभी ऐसा मंदिर देखा है, जहां भगवान की मौजूदगी सिर्फ मूर्ति तक सीमित न हो, बल्कि हवा में बहती हो, गुफाओं की दीवारों में बसती हो, और भक्तों के कानों तक उनकी सांसों की आवाज पहुंचती हो? अगर नहीं, तो आपको एक बार तेलंगाना हनुमाकोंडा के श्री लक्ष्मीनरसिंहस्वामी मंदिर जरूर जाना चाहिए!
ये मंदिर किसी आम धार्मिक स्थल जैसा नहीं, बल्कि एक रहस्यमयी गुफा है, जहां भगवान विष्णु के चौथे अवतार, नरसिंहस्वामी का वास है. आधे मानव और आधे सिंह के रूप में प्रकट हुए इस अवतार का मूल उद्देश्य था – भक्तों की रक्षा और अधर्म का नाश! और यहीं, हनुमद्गिरी पहाड़ी पर, वो आज भी मौजूद हैं… जी हां, स्वयंभू रूप में!
गुफा का वो चमत्कारी पानी
अब, इस मंदिर की सबसे दिलचस्प बात सुनिए – यहां एक रहस्यमयी जलकुंड है, जो सालों से भक्तों को चौंका रहा है.
बारिश हो या गर्मी, इस कुंड का जल स्तर अपने नियम खुद तय करता है. बारिश में बढ़ता ज़रूर है, लेकिन कभी ऊपर नहीं आता. गर्मियों में थोड़ा कम होता है, पर सूखता कभी नहीं!
यही नहीं, इसी पवित्र जल से भगवान का अभिषेक किया जाता है. भक्तों का मानना है कि इस जल में अलौकिक शक्ति है, जो जीवन की परेशानियों को धो डालती है.
यहां भगवान क्या सच में ‘सांस’ लेते हैं?
अब इस बात को सुनकर आपकी जिज्ञासा और बढ़ जाएगी – भक्तों का कहना है कि मंदिर की गुफा में जाते ही एक अजीब गर्माहट महसूस होती है. माना जाता है कि यहां भगवान नरसिंहस्वामी मानव रूप में वास करते हैं, और उनकी सांसों की आवाज भी सुनी जा सकती है!
गुफा के अंदर जाते वक्त झुककर जाना पड़ता है, जैसे कि भगवान के आगे सिर नवाने का ही एक तरीका हो! और हां, यहां पहाड़ी की चट्टानों को काटने की कोशिश की गई थी, लेकिन खून बहने लगा! इसीलिए इसे छोड़ दिया गया और तब से मान्यता है कि भगवान पूरे गुफा में व्याप्त हैं.
मनोकामनाओं की कसौटी
अब बात आती है इच्छाओं की पूर्ति की. कहते हैं, जो भी भक्त अपनी मनोकामनाओं के साथ यहां आता है, वो गुफा के पवित्र स्थल पर पानी डालकर देखता है. अगर पानी जल्दी सूख जाए, तो समझिए कि भगवान ने प्रार्थना स्वीकार कर ली.
रक्षक जो मंदिर के पहरेदार हैं
अब सबसे दिलचस्प किस्सा सुनिए – मंदिर में एक विशाल सांप अक्सर देखा जाता है, जिसे भगवान नरसिंहस्वामी का रक्षक माना जाता है! भक्तों का कहना है कि यह नाग स्वामी की सेवा में ही रहता है और किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता.
