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छोटी काशी में माखन श्रंगार की परंपरा, इंद्रदमनेश्वर महादेव के दिव्य दर्शन

03 फरवरी 2025 : अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के तहत मंडी के प्राचीन बाबा भूतनाथ मंदिर में हर वर्ष की तरह इस बार भी माखन श्रृंगार की परंपरा निभाई जा रही है. इस श्रृंगार में बाबा भूतनाथ की पिंडी को एक माह तक मक्खन से ढका जाता है, जो 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन उतारा जाएगा और भक्तों को प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन होंगे.

आज बाबा भूतनाथ की पिंडी में इंद्रदमनेश्वर महादेव का स्वरूप
इस क्रम में आज बाबा भूतनाथ की पिंडी को बिहार के लखीसराय जिले में स्थित इंद्रदमनेश्वर महादेव के रूप में सजाया गया है. भक्तजन इस भव्य श्रृंगार के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं.

बिहार के इंद्रदमनेश्वर महादेव का ऐतिहासिक महत्व
इंद्रदमनेश्वर महादेव का इतिहास लगभग चार दशक पुराना है. वर्ष 1977 में लखीसराय जिले के चौकी गांव के दो बच्चों ने खेल-खेल में जमीन में दबे काले पत्थर को देखा. जब गांव वालों ने इसे खोदना शुरू किया, तो यह कोई साधारण पत्थर नहीं बल्कि एक विशाल शिवलिंग निकला.

पाल वंश कालीन सातवीं-आठवीं शताब्दी के राजा इंद्रदमन, जो भगवान शिव के अनन्य भक्त थे, ने इस शिवलिंग को स्थापित किया था. इसके नाम पर ही इस स्थान का नाम इंद्रदमनेश्वर महादेव पड़ा, जबकि खोजने वाले बालक अशोक के नाम पर इस स्थान को अशोकधाम कहा जाने लगा.

भारत के सबसे विशाल शिवलिंग में से एक
कहा जाता है कि इंद्रदमनेश्वर महादेव का शिवलिंग भारत के सबसे विशाल शिवलिंगों में से एक है. माना जाता है कि यह भगवान श्रीराम द्वारा भी पूजित रहा है. बिहार-झारखंड विभाजन के बाद अशोकधाम को बिहार के बाबाधाम के रूप में भी जाना जाने लगा. श्रावण मास में लाखों कांवरिए यहां जलाभिषेक करने पहुंचते हैं. मंदिर के विकास के लिए इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट की स्थापना की गई, जिसके माध्यम से इस भव्य मंदिर का निर्माण हुआ.

मंडी के बाबा भूतनाथ मंदिर में माखन श्रृंगार की परंपरा
मंडी को “छोटी काशी” भी कहा जाता है, और यहां का बाबा भूतनाथ मंदिर सबसे प्राचीन शिव मंदिरों में से एक है. इस मंदिर में माखन श्रृंगार की परंपरा सदियों पुरानी है

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