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Siddhivinayak Temple: ड्रेस कोड लागू, जानें मंदिरों में उचित परिधान क्यों जरूरी

29 जनवरी 2025 : देश के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक सिद्धिविनायक मंदिर में अब बप्पा के दर्शन करने के लिए भक्तों को उचित कपड़ों का चुनाव करना होगा. जी हां, क्योंकि श्री सिद्धिविनायक मंदिर प्रशासन ने यहां भक्तों के लिए ड्रेस कोड़ लागू कर दिया है. मंदिर प्रशासन के अनुसार मंदिर में छोटे कपड़े या कटे-फटे कपड़े पहने हुए भक्तों को दर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी.

मंदिर प्रशासन नें लोगों से अपील कर कहा है कि मंदिर में आप उसी श्रद्धा और वेशभूषा में आए जो कि आप अपने घरों में किसी त्योहार व उत्सव के दौरान पहनते हैं. हालांकि यह देश का पहला मंदिर नहीं है, जहां प्रवेश के लिए ड्रेस कोड लागू किया गया है. इसके अलावा भी कई ऐसे मंदिर हैं, जहां पर ड्रेस कोड लागू किये गए हैं. सामान्यतः मंदिर में किस तरह के कपड़ों को पहनकर जाना चाहिए और क्यों जरुरी है मंदिरों में उचित पहनावा? इस बारे में भोपाल निवासी ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद गौतम से विस्तार से जानते हैं.

क्यों जरुरी है मंदिरों में ड्रेस कोड
पंडित जी का कहना है कि हमारी भारतीय संस्कृतियों में वस्त्रों का बहुत अधिक महत्व होता है. मंदिर में याकिसी धार्मिक अनुष्ठानों में उचित तरह के कपड़ों को पहनने से ना सिर्फ हमारी सभ्यता बल्कि हमारी ऊर्जाओं को भी एक उचित बल मिलता है. इसलिए किसी भी मंदिर में दर्शन करने के लिए सुसंस्कृत परिधानों को पहनना चाहिए और अशोभनीय कपड़ों का नहीं पहनना चाहिए.

सिद्धिविनायक गणपति मंदिर ट्रस्ट की दलील
श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर ट्रस्ट ने कहा कि मंदिर में ड्रेस कोड को लागू करने का निर्णय वहां दर्शन के लिए आने वाले अन्य भक्तों को अनुचित कपड़ों से होने वाली असुविधा के कारण की गई शिकायत के बाद लिया गया है. जिसके बाद यहाँ आदेश जारी किया गया, जिसके मुताबिक मंदिर में कटी या फटी पतलून, मिनी स्कर्ट या कोई भी ऐसे वस्त्र जिनमें अंग दिखाई देते हैं, उन्हें पहनकर मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा.

2023 में भी करीब 6 मंदिरों में लागु हुआ था ड्रेस कोड
श्री सिद्धिविनायक मंदिर में ड्रेस कोड लागू होने के पहले साल 2023 में भी देश के 6 प्रसिद्ध मंदिरों के ट्रस्ट व प्रशासन ने इन मंदिरों में ड्रेस कोड जारी किया गया है. इन मंदिरों में घृष्णेश्वर महादेव मंदिर, तिरुपति बालाजी, महाबलेश्वर मंदिर, गुरुवायुर कृष्ण मंदिर, महाकाल मंदिर सहित दक्षिण के काफी मंदिर शामिल हैं. मंदिर प्रशासन व ट्रस्ट के सदस्यों का मानना है कि किसी भी पुरुष या महिला को मंदिर में अशोभनीय कपड़े नहीं पहनने चाहिए.

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