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Explainer: धार्मिक आयोजनों में भगदड़ क्यों मचती है, कौन होते हैं शिकार?

29 जनवरी 2025 :  प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में मंगलवार की रात को एक बड़ा हादसा टल गया. महाकुंभ में मौनी अमावस्या के अमृत स्नान से पहले आधी रात को भगदड़ मच गई, जिसमें काफी लोग घायल हो गए. उम्मीद जताई जा रही है कि बुधवार को करीब 10 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर सकते हैं. ऐसे में सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है ताकि रात जैसा कोई हादसा फिर न हो. मंगलवार यानी 28 फरवरी तक 16 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई.

भारत में होने वाले धार्मिक आयोजनों में ही ज्यादातर भगदड़ मचती है. पिछले साल जुलाई में हाथरस के सिकंदराराऊ में बाबा नारायण साकार हरि भोला के एक सत्संग में मची भगदड़ में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं थीं. हमारे देश में अक्सर धार्मिक आयोजनों में भगदड़ के दौरान बड़े पैमाने पर मौतें होती रही हैं. आखिर क्या होती हैं इनकी वजहें और क्यों ज्यादातर महिलाएं या बच्चे ही इसका शिकार बनते हैं.

1954 के कुंभ में मारे गए थे 500 लोग
अगर कुंभ की बात की जाए तो साल 1954 में प्रयागराज (उस समय के इलाहाबाद) में सबसे बड़ा हादसा हुआ था. 14 फरवरी 1954 को कुंभ के दौरान भगदड़ मचने से 500 लोगों की मौत हो गई थी. दूसरी बड़ी घटना भी इलाहाबाद कुंभ की है. साल 2013 में ट्रेन का इंतजार करते हुए श्रद्धालुओं की इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 35 लोगों की मौत हो गई थी. इस भगदड़ की वजह यह थी कि एक ट्रेन का प्लेटफार्म ऐन समय पर बदल दिया गया था. जिसकी वजह से यात्रियों में पैनिक हो गया और वे किसी भी हालत में ट्रेन पकड़ने के लिए भागमभाग करने लगे. जिसकी वजह से भगदड़ मच गई.

धार्मिक आयोजनों में ही अक्सर भगदड़ होती है और इसके चलते मौतें भी होती हैं. लेकिन ये घटनाएं सवाल खड़ा करती हैं कि आखिर भगदड़ क्यों होती है?

80 फीसदी भगदड़ के हादसे धार्मिक कार्यक्रमों में
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, 2000 से 2013 तक, भगदड़ में लगभग 2,000 लोग मारे गए. इंटरनेशनल जर्नल ऑफ डिजास्टर रिस्क रिडक्शन (आईजेडीआरआर) द्वारा प्रकाशित 2013 के एक अध्ययन से पता चलता है कि भारत में 79 फीसदी भगदड़ धार्मिक सभाओं और तीर्थयात्राओं के कारण होती हैं. भारत और अन्य विकासशील देशों में भीड़-भाड़ से जुड़ी अधिकांश दुर्घटनाएं धार्मिक स्थलों पर होती हैं.

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