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खाटू श्याम की महिमा: बर्बरीक से श्याम बनने की कहानी

28 जनवरी 2025 कलयुग में खाटू श्याम का बहुत बड़ा नाम होगा. भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त थे और भगवान के द्वारा यह वरदान उन्हें दिया गया था कि उनके भक्त उन्हें भगवान कृष्ण की तरह ही पूजेंगे. कौन थे खाटू श्याम? कैसे बन गए हारे का सहारा और क्या है उनके तीन बाण का रहस्य, क्यों कर दिया था अपने शीश का दान? आइए विस्तार से जानते हैं भक्त बर्बरीक की कहानी.

कौन हैं बाबा श्याम : खाटू श्याम जी बहुत प्रसिद्ध देवता हैं. यह पांडवों में से भीम के पोते और घटोत्कच के बेटे हैं. उनका असली नाम बर्बरीक था. बर्बरीक के अंदर बचपन से ही एक बहुत बड़े योद्धा के सभी गुण थे.

हारे का सहारा कैसे बने : महाभारत के युद्ध में भाग लेने के लिए बर्बरीक ने अपनी मां से आज्ञा मांगी थी. उनकी मां को यह एहसास था कि कौरवों की संख्या अधिक होने से पांडवों की हार हो सकती है. उसे वक्त उनकी मां ने यह वचन लिया था कि तुम युद्ध में हार रहे पक्ष का साथ दोगे. उस वक्त से खाटू श्याम हारे का सहारा बन गए.

तीन बाण का रहस्य : भक्त बर्बरीक से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने उन्हें तीन बाण दिए थे. इसलिए बाबा श्याम को तीन बाणधारी भी कहा जाता है. अन्य तीन वाणों में इतनी अधिक ताकत थी की महाभारत के युद्ध को इन तीन बाणों से ही खत्म किया जा सकता था.

शीश का दान किया : महाभारत के युद्ध में भक्त बर्बरीक को अपनी मां को दिए गए बचन के अनुसार हराते हुए पक्ष का साथ देना था. भगवान श्री कृष्णा जानते थे कि कौरवों को जब बर्बरीक हारता हुआ देखेंगे तो वह उनका साथ देंगे. उनके तीन बाणों से पूरा युद्ध खत्म हो जाएगा और पांडवों की हार तय हो जाएगी. इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का रूप धर के भक्त बर्बरीक से उनका शीश दान में मांग लिया था. भक्त बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण के चरणों में तलवार से काटकर अपने शीश को अर्पित कर दिया था. इसलिए वह शीश के दानी भी कहलाए गए.

श्रीकृष्ण से मिला वरदान : बराबरी के शीश दान करने से इस बलिदान को देखते हुए श्री कृष्णा बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने बर्बरीक को वरदान दिया कि जैसे-जैसे कलयुग बढ़ता जाएगा तुम मेरे नाम से पूजे जाओगे. तुम्हारे नाम के उच्चारण मात्र से ही लोगों का कल्याण हो जाएगा. जो लोग तुम्हारा पूजन अनुसरण करेंगे उनका कभी बुरा नहीं होगा.

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