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महाकुंभ 2025: जानिए 6 सबसे प्रसिद्ध अखाड़े, उनका नाम और महत्व, सब कुछ यहां

प्रयागराज 26 जनवरी 2025: महाकुंभ के दौरान सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अखाड़ों की होती है, अमृत स्नान के दौरान अखाड़ों के साधु सबसे पहले स्नान करते हैं और इनके बाद ही अन्य सभी लोग डुबकी लगाते हैं. बता दें कि साधु-संतों के समूह को अखाड़ा कहा जाता है. ये अखाड़े साधुओं के पारंपरिक धार्मिक संप्रदाय हैं जो उन्हें एक साथ लाते हैं, ज्ञान प्रदान करते हैं और तो और लोगों को अपने भीतर की आध्यात्मिक ऊर्जा का एहसास कराते हैं.

बताया जाता है कि, जब भारत ने आक्रमणकारियों और लुटेरों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, तब साधु-संतों के इन अखाड़ों ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी थी. ऐसे में आइए जानते हैं महाकुंभ 2025 में शामिल हुए 6 सबसे प्रसिद्ध अखाड़ों के बारे में….

निरंजनी अखाड़ानिरंजनी अखाड़े को गुजरात के मांडवी में स्थापित किया गया था. इस अखाड़े के इष्टदेव कार्तिकेय देव माने जाते हैं. यह शैव परंरा को पालन करने वाला अखाड़ा है. माना जाता है कि इसमें सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे साधु शामिल हैं. इस अखाड़े में ऐसे विद्वान संतों को तैयार करने की एक समृद्ध परंपरा है जो आध्यात्मिकता, शिक्षा, सामाजिक कार्यों और कई अन्य क्षेत्रों में निपुण हैं.
जूना अखाड़ामहाकुंभ 2025 में सबसे प्रसिद्ध और सबसे पुराने अखाड़ों में से एक है जूना अखाड़ा. यह अखाड़ा शैव परंपरा को मानता है, इसके इष्टदेव दत्तात्रेय भगवान हैं. ये भगवान शिव को सर्वोच्च देवता, रक्षक, संरक्षक के रूप में पूजते हैं. जूना अखाड़ा अपने नागा साधुओं के लिए जाना जाता है. इस अखाड़े में सबसे ज्यादा देशी और विदेशी महामंडलेश्वर हैं.


निर्मोही अखाड़ानिर्मोही अखाड़ा वैष्णव परंपरा को मानता है. निर्मोही अखाड़ा के साधु भगवान राम के प्रति अपनी भक्ति के लिए जाने जाते हैं और रामायण की शिक्षाओं के साथ रहते हैं. इस अखाड़े के साधु भारत में राम मंदिर आंदोलन का भी प्रमुख हिस्सा थे, वैष्णव संप्रदाय के तीनों अणि अखाड़ों में से सबसे ज्यादा अखाड़े इसी में हैं. जिनकी कुल संख्या 9 है.


महानिर्वाणी अखाड़ामहानिर्वाणी अखाड़ा काफी प्रसिद्ध अखाड़ा है, इसे शस्त्रधारी अखाड़ा के रूप में परिभाषित किया जाता है. माना जाता है कि इस अखाड़े का आयोजन आदि शंकराचार्य ने किया था और इसकी स्थापना कपिल महामुनि ने की थी. माना जाता है कि महानिर्वाणी अखाड़ा आध्यात्मिक प्रथाओं के माध्यम से आत्मा की आंतरिक यात्रा पर ध्यान केंद्रित करता है. बता दें कि उज्जैन के महाकालेश्वर की पूजा का जिम्मा यही अखाड़ा संभालता है.


अटल अखाड़ाअटल अखाड़ा के साधु महाकुंभ के दौरान अनुष्ठानों और जुलूसों में भाग लेते हैं और विनम्रता और भक्ति के साथ रहते हैं. इस अखाड़े का आधार वाराणसी में है, ये अपना इष्टदेव भगवान गणेश को मानते हैं. अटल अखाड़ा भी शैव परंपरा का पालन करता है. बता दें कि इस अखाड़े में केवल ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्यों को ही दीक्षा मिलती है.

नागपंथी गोरखनाथनागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा नाथ परंपरा का एक हिस्सा है, ये शैव धर्म, योग और तंत्र परंपराओं का मिश्रण माना जाते है. इस अखाड़े की स्थापना गोरखनाथ के अनुयायियों ने की थी, जो योग और तप प्रथाओं के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते हैं.

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