पंकज सिंगटा/शिमला 21 जनवरी 2025 : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ ने धार्मिक श्रद्धालुओं के साथ-साथ जिज्ञासु लोगों का ध्यान आकर्षित किया है. कुंभ के आयोजन में अखाड़ों और शाही स्नान का उल्लेख विशेष महत्व रखता है. हालांकि, इन पर पूरी जानकारी कम ही लोगों को होती है. लोकल 18 ने इस विषय पर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और कुंभ पर 7 पुस्तकें लिख चुके डॉ. विवेकानंद तिवारी से बातचीत की. उन्होंने अखाड़ों, शाही स्नान, और कुंभ के महत्व पर गहराई से प्रकाश डाला.
अखाड़ों का महत्व
डॉ. तिवारी बताते हैं कि भारत में एक समय ऐसा था जब विभिन्न मतों और उपासना पद्धतियों के बीच समाज में भटकाव था. आदिशंकराचार्य ने इस विभाजन को समाप्त करने और धर्म को एकता में बांधने के लिए चार मठों की स्थापना की. इसके बाद, उनके शिष्य मधुसूदनानंद सरस्वती ने अखाड़ों की स्थापना की.
अखाड़े क्या करते थे?
अखाड़े केवल धार्मिक संगठनों तक सीमित नहीं थे. ये तीर्थ स्थलों और यात्रियों की रक्षा करते थे. इन्हें हिंदू धर्म के “धार्मिक सैनिक” के रूप में ख्याति प्राप्त है. अखाड़े धर्म और वेदांत की शिक्षाओं को समाज तक पहुंचाने का कार्य करते थे.
13 अखाड़ों की संरचना:
अखाड़ों की कुल संख्या 13 है. इनमें 7 शैव अखाड़े (सन्यासी अखाड़े) हैं, जो भगवान शिव की उपासना करते हैं. 3 वैष्णव अखाड़े, जो भगवान राम और कृष्ण की आराधना करते हैं. 3 उदासीन अखाड़े, जो सिख धर्म से संबंधित हैं और गुरु नानक देव की शिक्षाओं को बढ़ावा देते हैं.
शैव अखाड़ों की विशेषताएं:
इन अखाड़ों में शामिल होने से पहले व्यक्ति अपना पिंडदान और गोत्र त्याग करता है. मृत्यु के बाद उन्हें भू-समाधि या जल-समाधि दी जाती है.
महामंडलेश्वर और अखाड़ों का नेतृत्व
अखाड़ों का सर्वोच्च पद आचार्य महामंडलेश्वर का होता है. वे धार्मिक और आध्यात्मिक नेता होते हैं. वेद, पुराण, उपनिषद और श्रीमद्भागवत गीता जैसे ग्रंथों के विद्वान होते हैं.
वे दीक्षा देने और अखाड़े की नीतियों का नेतृत्व करने का कार्य करते हैं.
शाही स्नान का महत्व
कुंभ का सबसे बड़ा आकर्षण शाही स्नान है. शाही स्नान विशेष योग और ज्योतिषीय गणनाओं पर आधारित होता है.
शास्त्रों में तीन मुख्य शाही स्नान:
मकर संक्रांति
मौनी अमावस्या
वसंत पंचमी
इसके अलावा माघी पूर्णिमा और शिवरात्रि स्नान भी महत्वपूर्ण हैं. शाही स्नान के दिन अखाड़ों के साधु-संत विशेष श्रृंगार करते हैं. नागा संन्यासी 17 प्रकार के श्रृंगार के साथ ढोल-नगाड़ों की धुन पर स्नान के लिए निकलते हैं. कुंभ और अखाड़े समाज को धार्मिक और आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ एकता और धर्म के महत्व को बढ़ावा देते हैं. अखाड़े धर्म की रक्षा और सनातन परंपराओं को आगे बढ़ाने का कार्य करते हैं.