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किसानों के लिए जरूरी: गेहूं की फसल बचाने के टिप्स

करनाल 5 जनवरी 2025 : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आई.सी.ए.आर.) के करनाल स्थित भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आई.आई. डब्ल्यू.बी.आर.) ने देश के सभी क्षेत्रों के गेहूं उत्पादक किसानों के लिए 15 जनवरी तक की सलाह जारी की है। संस्थान के अनुसार देश में गेहूं की बिजाई लगभग पूरी हो चुकी है। अनुकूल मौसम स्थिति के चलते गेहूं की वानस्पतिक वृद्धि और फुटाव काफी अच्छा है। उत्तर भारत में हाल ही में हुई वर्षा को ध्यान में रखते हुए अच्छी वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए यूरिया का 40 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से एक खुराक देने की सलाह दी गई है।

इन बातों का रखें ध्यान 

  • जिन क्षेत्रों में वर्षा नहीं हुई उनमें सिंचाई कर दें ताकि तापमान बहुत कम होने के कारण होने वाले नुक्सान से फसल को बचाया जा सके।
  • लागत में कटौती और पानी बचाने के लिए विवेकपूर्ण तरीके से सिंचाई करें। इस स्तर पर उचित खरपतवार प्रबंधन का पालन करें।
  • सिंचाई से पहले मौसम पर नजर रखें और बारिश के पूर्वानुमान की स्थिति में सिंचाई से बचें ताकि खेतों में जलभराव या अधिक पानी की स्थिति न बने।
  • फसल में पीलापन होने पर नाइट्रोजन का अधिक प्रयोग न करें।
  • कोहरे या बादल की स्थिति में नाइट्रोजन के उपयोग से बचें।
  • पीला रतुआ संक्रमण के लिए फसल का नियमित रूप से निरीक्षण करें और रोग के लक्षण मिलने पर निकटवर्ती संस्थान, कृषि विश्वविद्यालय या कृषि विज्ञान केंद्रों से संपर्क कर सलाह लें।
  • संरक्षण कृषि में यूरिया का छिड़काव सिंचाई से ठीक पहले किया जाना चाहिए। खरपतवार प्रबंधन और दीमक पर नियंत्रण रखने पर ध्यान दें। 


संस्थान के निदेशक डॉ. रतन तिवारी के अनुसार पीला रतुआ के लिए अनुकूल मौसम और इसके फैलने को ध्यान में रखते हुए नियमित रूप से फसल का निरीक्षण करते रहें। पीला रतुआ की पुष्टि के लिए वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों से सलाह लें क्योंकि कभी-कभी पत्तियां अन्य कारणों से भी पीली हो जाती हैं। विशेषज्ञ की सलाह से पीला रतुआ पर नियंत्रण करें।

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