मंडी 30 दिसंबर 2024 : हिमाचल प्रदेश में मौजूदा समय में शादियों का सीजन है. यहां पर लोग अपने अपने तरीके से शादी समारोह का आयोजन कर रहे हैं लेकिन मंडी जिले में हुई एक शादी की खासी चर्चा है. यहां पर 12 हजार लोगों के लिए धाम बनाई गई थी. शादी में कई जिलों से लोगों को बुलाया गया था.
शादी में मंडयाली धाम(भोज) का आयोजन किया गया था. जिसमें केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर से लेकर कई जिलों से लोग पहुंचे थे. धाम में चार जिलों के लोगों के लोगों को आमंत्रित किया गया था.
जानकारी के अनुसार, मंडी जिले के जाहू शहर में यह शादी हुई. यहां पर एक कॉन्ट्रैक्टर की बेटी की शादी सोमवार को हुई. शादी में बड़े पैमाने पर धाम का आयोजन किया गया. शादी में प्रसिद्ध मंडयाली धाम का आयोजन किया गया था. इस धाम को बनाने के लिए 35 बोटी (रसोइये) बुलाए गए थे. इन्होंने आठ घंटे के वक्त के दौरान यह खाना तैयार किया.
एक रसोइये ने बताया कि 12 हजार लोगों के लिए खाना तैयार किया गया था. इस दौरान 98 चरोटियों (बर्तन) में खाना तैयार किया गया. उन्होंने बताया कि कुल 3 क्विंटल चावल पकाए गए थे. इस दौरान कुल 9 सब्जियां लोगों के लिए परोसी गईं.
रसोइये ने बताया कि कुल 35 लोगों ने इस खाने को पारंपरिक तरीके से तैयार किया था. इस दौरान 60 मन (3 क्विंटल) चावल पकाए गए थे. आधी रात से ही धाम बनाने की तैयारियां शुरू हो गई थी. यह मंडी का पारंपरिक भोज है.
गौरतलब है कि मंडयाली धाम हिमाचल प्रदेश का एक पारंपरिक भोज है और इसे उत्सवों, विवाहों और अन्य खास मौकों पर परोसा जाता है. माना जाता है कि मंडयाली धाम की शुरुआत 1,000 साल से भी पहले चंबा घाटी में हुई थी.
मंडयाली धाम में सबसे पहले बूंदी मीठा या बदाणा परोसा जाता है, फिर सेपू बड़ी, कद्दू का खट्टा, कोल का खट्टा, दाल, और झोल. इसे टौर के हरे पत्तों से बनी पत्तलों पर परोसा जाता है, जिससे इसकी फ़ूड वैल्यू बढ़ जाती है. मंडयाली धाम में परोसे जाने वाले कुछ व्यंजन ये हैं:
हिमाचल प्रदेश में मंडयाली धाम काफी फेमस है. यह औषधीय गुणों से भरपूर आहार है. धाम पकाने और परोसने में वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है. पत्ते से बनी पत्तलों में इसे परोसा जाता है. शोध में यह खुलासा हुआ है कि जिस क्रम में धाम को परोसा जाता है, उससे खाना शुरू से अंत तक संतुलित रखता है.इस धाम में सेपू बड़ी, कद्दू खट्टा, कोल का खट्टा, दाल और झोल परोसा जाता है.
दही का झोल क्लींजिंग एजेंट का काम करता है और पाचन को बढ़ाता है. बड़ी संख्या में लोग जमीन पर बैठकर इस भोज का आनंद लेते हैं.
