चंडीगढ़, 8 दिसंबर 2024 : हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार पर ई.वी.एम. को दोष देने वाले कांग्रेस नेताओं ने अब अपनी गलतियों को स्वीकार करना शुरू कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने माना कि टिकट वितरण में गलती हुई थी और 10 से 15 सीटों पर गलत उम्मीदवार उतारे गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सभी मुझे दोषी मानते हैं, तो मैं अपनी जिम्मेदारी छोड़ने के लिए तैयार हूं और मैंने अपना इस्तीफा भी भेजा था।
हालांकि, बाबरिया ने यह दावा भी किया कि काउंटिंग के दिन उन्हें जानकारी मिली थी कि कुछ सीटों पर धांधली हो रही है, और उन्होंने यह संदेश प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को भेज दिया था। इसके बाद शनिवार को कांग्रेस की बैठक हुई, जिसमें पहली बार बाबरिया भी मौजूद थे। बाबरिया ने यह स्पष्ट किया कि बीमारी के कारण वे पहले की दो बैठकों में नहीं जा पाए थे।
कांग्रेस सह-प्रभारी जितेंद्र बघेल ने बैठक से पहले कहा कि पार्टी में आपसी विवादों और नेताओं के बीच गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं।
इससे पहले 29 नवंबर को दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हुई थी, जिसमें हरियाणा में पार्टी की हार पर चर्चा की गई थी। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बताया कि आपसी एकता की कमी और एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया। उन्होंने संगठन की मजबूती, अनुशासन और एकता पर जोर दिया। बैठक में राहुल गांधी, सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा, रोहतक से सांसद दीपेंद्र हुड्डा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला भी शामिल थे।
इसके बाद भूपेश बघेल की अध्यक्षता में एक दो सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी, जिसने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के तहत हरियाणा के कांग्रेस विधायकों और चुनावी हार के कारण पराजित उम्मीदवारों से मुलाकात की।
कांग्रेस नेता करण सिंह दलाल, जो हार के कारणों की जांच के लिए बनाई गई कमेटी के अध्यक्ष हैं, ने कहा कि इस मीटिंग में उन्हें कुछ अहम दस्तावेज मिले हैं और अब उन्हें यकीन है कि वे कानूनी लड़ाई में जीत हासिल करेंगे। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी की सरकार 2025 तक नहीं चलेगी और यह केवल ई.वी.एम. की सरकार है। दलाल ने कहा कि चुनाव में जिन अधिकारियों ने पद का दुरुपयोग किया है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा, हार के कारणों को लेकर बनी कमेटी के कनवीनर के. सी. भाटिया ने भी दिल्ली में बैठक की। उन्होंने बताया कि इस बैठक में 16 याचिकाओं पर चर्चा की गई, जो उन्होंने कोर्ट में डाली हैं। इसके अलावा, धर्म के नाम पर वोटबैंक बनाने, चुनाव में अत्यधिक खर्च और ई.वी.एम. की बैटरी की स्थिति जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
