• Fri. Dec 5th, 2025

गुरु गौरव और नृत्य की सम्मानजनक प्रतिष्ठा

7 दिसंबर 2024 – कथक की जानीमानी और उच्चकोटि की नृत्यांगना विदुषी शोभना नारायण का नाम भारतीय नृत्य कला के विशिष्ट कलाकारों में लिया जाता है। उनकी एकल नृत्य प्रस्तुतियां और रचनात्मक संरचनाएं बेहद मौलिक और अभूतपूर्व हैं। गुरु के रूप में भी उनका योगदान अनमोल है, क्योंकि उन्होंने गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से अनेक नृत्यांगनाओं को प्रशिक्षित किया है, जिनमें सुपर्णा सिंह और महिमा सत्संगी जैसे युवा कलाकार शामिल हैं। हाल ही में, हेबिटेट सेंटर के स्टेन सभागार में आसवरी संस्था द्वारा उनके नृत्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम में सुपर्णा और महिमा ने पहली बार अपनी स्व-रचित नृत्य संरचना “सुमंग” प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने अपने नृत्य कौशल और दूरदर्शिता का अद्वितीय प्रदर्शन किया। “सुमंग” प्रेम, मित्रता और बंधुत्व के भावों को जागृत करने का माध्यम है, जो नृत्य के धागों में बसी आत्मा की गूंज को व्यक्त करता है। इस रचनात्मक प्रस्तुति के माध्यम से दोनों कलाकारों ने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरे चिंतन के साथ, उनके यथार्थ को उजागर करने का सार्थक प्रयास किया।

सुपर्णा और महिमा ने नृत्य संरचना के जरिये यह भी दर्शाया कि जीवन की यात्रा के दौरान हम किस प्रकार अपने विचारों और भावनाओं को समग्र रूप से समझते हुए, नए रास्तों की तलाश करते हैं। तालबद्ध एकल और युगल नृत्य में उनकी प्रतिभा ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

“सुमंग” की प्रस्तुति से यह सिद्ध हुआ कि नृत्य केवल दर्शनीय नहीं, बल्कि यह दिल और आत्मा को भी गहराई से छूता है। यह नृत्य शारीरिकता से बाहर निकलकर, मानवीय भावनाओं और आध्यात्मिक शक्ति को भी जागृत करता है। नृत्य में प्रेम, करुणा और बंधुत्व का गहरा संदेश है, जो हमारी समृद्ध और समावेशी संस्कृति का प्रतीक है।

सुपर्णा के अनुसार, “सुमंग” की यात्रा आत्मभाव और आध्यात्मिक गुणों के संयोजन से हृदय को छूने वाली है। महिमा सत्संगी के अनुसार, इस नृत्य में मानवीय संबंधों का स्पर्श और सौंदर्य दर्शाया गया है, जो अनहद के पार भी गूंजता है। दोनों नृत्यांगनाओं ने नृत्य की समग्र यात्रा को प्रतिबिंब, आलिंगन, सर्वज्ञ और समागम जैसे भावों में रंग भरते हुए एक नई ऊष्मा, शांति और मधुरता का आभास दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *