1 दिसंबर 2024 – रजा से जुड़े 40 हजार पत्रों का खजाना
प्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रजा के पास 40 हजार पत्रों का एक अद्वितीय संग्रह था, जिसमें रजा को लिखे गए पत्रों के साथ-साथ रजा द्वारा लिखे गए पत्र भी शामिल थे। यह अमूल्य खजाना अब रजा फाउंडेशन के अभिलेखागार में संरक्षित किया गया है।
हाल ही में, इस संग्रह से प्रख्यात चित्रकारों रामकुमार, फ्रांसिस न्यूटन सूजा, और वी. एस. गायतोंडे के व्यक्तिगत पत्रों की एक प्रदर्शनी त्रिवेणी गैलरी में आयोजित की गई। यह तीनों चित्रकार रजा के युवा मित्र थे और इस वर्ष इनकी जन्मशती भी मनाई जा रही है। 1924 में जन्मे इन कलाकारों का नाम मुंबई प्रोग्रेसिव आर्ट ग्रुप से जुड़ा हुआ है, जिसे मकबूल फिदा हुसैन ने स्थापित किया था।
रजा फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी और प्रसिद्ध लेखक अशोक वाजपेयी ने इस प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। उन्होंने बताया कि यह एक संयोग है कि इस वर्ष रामकुमार, गायतोंडे और सूजा की जन्मशती है और तीनों रजा के करीबी मित्र रहे हैं। इन मित्रों के पत्रों में गहरी दोस्ती और जीवन के उतार-चढ़ाव की झलक मिलती है।
अशोक वाजपेयी ने कहा कि ये तीनों कलाकार बाद में विश्व प्रसिद्ध हो गए और उनकी पेंटिंग्स करोड़ों में बिकीं। उन्होंने भारतीय कला को नई दिशा दी और इसे एक नया आयाम दिया। इनकी कला का योगदान हमेशा याद किया जाएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि आजकल लोग एक-दूसरे को पत्र नहीं लिखते, लेकिन पहले के समय में कलाकार और लेखक एक-दूसरे को पत्र लिखते थे और मदद करते थे। उदाहरण के तौर पर, जब रजा पेरिस में थे, तो रामकुमार भी वहीं थे और सूजा ब्रिटेन में थे। एक समय सूजा को पैसों की आवश्यकता थी, और रजा ने तुरंत उन्हें पैसे भेजकर उनकी मदद की।
अशोक वाजपेयी ने कहा कि रामकुमार के पत्र हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में हैं, जबकि सूजा और गायतोंडे के पत्र केवल अंग्रेजी में हैं। ये पत्र अप्रकाशित हैं और इनमें मित्रता की गहरी भावना और उनके व्यक्तित्व का असली रूप देखने को मिलता है।
सूजा, जो 12 अप्रैल 1924 को गोवा में जन्मे थे, 1950 के दशक में ब्रिटेन चले गए और 28 मार्च 2002 को उनका निधन हुआ। वहीं, रामकुमार का जन्म 23 सितंबर 1924 को शिमला में हुआ था और वे हिंदी के प्रसिद्ध लेखक निर्मल वर्मा के बड़े भाई थे। उनका निधन 14 अप्रैल 2018 को हुआ। वी. एस. गायतोंडे का जन्म 2 नवंबर 1924 को हुआ था और वे 10 अगस्त 2001 को निधन हो गए।