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इस फूल के बिना आदिवासियों की शादी नहीं होती, भगवान शिव को पसंद।

रांची. हर समुदाय के शादी में कई सारे रीति-रिवाज होते हैं. उसमें कुछ ऐसी खास चीजें होती हैं जो उसे विशेष समुदाय में ही देखी जाती है. इसी क्रम में आज हम बात कर रहे हैं आदिवासी समुदाय की. जिसमें खास तरह के फूल की काफी मान्यता है. इसके बगैर शादी अधूरी मानी जाती है, पूजा पाठ में भी इन्हीं फूलों का इस्तेमाल करते हैं.

दरअसल, हम बात कर रहे हैं गुलांच फूल की जो सफेद और येलो कलर का होता है. इस फूल की खासियत बताते हुए आदिवासी पुजारी कैलाश मुंडा ने लोकल 18 को बताया- “हम लोगों के शादी में इस फूल का इस्तेमाल काफी अधिक होता है. जो वरमाला बनता है इसी फूल का बनता है. इसके अलावा भी यह कई सारे विधि में उपयोग आता है.

दुल्हन का गजरा से लेकर आशीर्वाद देने तक होता है इस्तेमाल
इसके अलावा दुल्हन का गजरा और शादी में रस्म निभाने के दौरान भी इसी फूलों का इस्तेमाल होता है. इसी फूलों से पानी का छिड़काव कर वर वधू का आशीर्वाद दिया जाता है. इसके अलावा हम कुलदेवी का पूजा पाठ भी इसी फूल को समर्पित करके करते हैं. इस फूल को हम काफी पवित्र मानते हैं और ऐसा माना जाता है कि इस फूल में शिव भगवान का आशीर्वाद है.

कैलाश कुंडा आगे बताते हैं, हम लोग खास तौर पर शिव भगवान को मानते हैं. हम लोग जब भी पूजा करते हैं शिव भगवान का तो इसी फूल को चढ़ाते हैं. शादी में भी सबसे पहले कुल देवी देवता और शिव भगवान की पूजा होती है, इसी फूलों से होती है.यह हमारे आसपास के खूंटी के जंगलों में खूब पाया जाता है.

घर पर जरूर रखते हैं इसका एक पौधा
कैलाश बताते हैं, हम लोग अपने घरों में भी एक पौधा इस फूल का जरूर रखते हैं. हर दिन पूजा पाठ करने में हमें आसानी हो. कई बार तो 10- 12 घर मिलकर एक पौधे की रखवाली करते हैं और जरूरत अनुसार फूल लेकर पूजा पाठ या फिर शादी विवाह में उपयोग करते हैं.

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