जालंधर: पुलिस कमिश्नर स्वप्न शर्मा के दिशा-निर्देशों पर महानगर को क्राइम फ्री बनाने के लिए पुलिस प्रशासन जहां सख्ती से अपना काम करने पर लगा हुआ है, लेकिन कहीं न कहीं अनदेखी व वैस्ट हलके में अवैध शराब का कारोबार करने वालों पर पुलिस की तरफ से की गई सख्ती का असर कम होता हुआ नजर आ रहा है।
वैस्ट हलके में दिन चढ़ते ही कई पॉश इलाकों में आने वाली कॉलोनियां भी इस अवैध शराब कारोबार के गढ़ में तब्दील होती जा रही हैं, उनमें संत नगर, बस्तियात इलाका, बस्ती पीरदाद, अवतार नगर, टैगोर नगर, तेज मोहन नगर आदि इलाकों में पैग सिस्टम का चलन तड़के से शुरू होकर देर रात तक चलते हैं। इस कारण रिहायशी इलाकों में आम लोगों, औरतों, बच्चों का अपने घरों से बाहर निकलना तक मुश्किल हो चुका है।
पूरे इलाकों में शराबी-नशेड़ी डेरा जमा लेते और नशा करके रिहायशी कॉलोनियों में गिरे पड़े रहते हैं। इस एरिया में छोटे-छोटे ठेलों व अस्थायी दुकानों पर शराब के पैग बनाकर बेचे जा रहे हैं। इस तरह की अवैध दुकानों में शराब बिना लाइसैंस के बेची जाती है, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान तो पहुंचाता ही है, उसके अलावा महानगर की कानून की भी सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। सूत्रों के अनुसार अवैध शराब का कारोबार स्थानीय प्रभावशाली लोगों के संरक्षण में चलता है, लाखों वायदों के बावजूद शासन-प्रशासन का इन धंधों पर लगाम लगाना प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण बनता जा रहा है।
ब्रांडेड शराब के नाम पर स्पिरिट में कैमिकल मिलाकर दिए जा रहे पैग!
अवैध शराब के पैग सिस्टम की कीमतें इलाके और क्वालिटी के हिसाब से भिन्न होती हैं। आमतौर पर यह 10 से 50 रुपए प्रति पैग तक के बीच बिकते हैं और पाउच पैकिंग बना कर भी सस्ते दामों पर शराब उपलब्ध होने की वजह से यह सिस्टम मजदूरों और निम्न-आय वर्ग के लोगों में लोकप्रिय है। इसमें ब्रांडेड शराब के नाम पर स्पिरिट में कैमिकल मिलाकर नकली शराब तैयार की जाती है और वैस्ट हलके के लोगों को पैग सिस्टम के नाम पर बेची जा रही है। अगर इस दौरान स्पिरिट को शराब में मिलने से अगर मौतें होती हैं तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?
