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AAP ने लेटरल एंट्री पर भाजपा को संविधान और आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाया

चंडीगढ़ 22 अगस्त 2024 : केंद्र सरकार का लेटरल एंट्री योजना को रद करना सिर्फ दिखावा है। वास्तव में केंद्र सरकार बाबा साहेब अंबेडकर का लिखा संविधान और देश की आरक्षण व्यवस्था को खत्म करना चाहती है। यह आरोप राज्य के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने लगाए हैं।

बुधवार को चंडीगढ़ स्थित पार्टी कार्यालय में हरभजन सिंह ईटीओ और लालचंद कटारूचक एवं पवन कुमार टीनू के साथ पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं ने कहा कि भाजपा पिछले कई वर्षों से लगातार यह कोशिश कर रही है कि किसी भी तरीके से आरक्षण को खत्म किया जाए।

हरपाल चीमा ने केंद्र सरकार पर लगाए आरोप

चीमा ने कहा कि मोदी सरकार ने चार राज्यों हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड और महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनावों में नुकसान के डर से इस फैसले को वापस लिया है। केंद्र सरकार पहले ही लेटरल एंट्री से 63 से ज्यादा आईएएस स्तर के पदों पर नियुक्ति कर चुकी है।

उन नियुक्तियों में भी आरक्षण के नियमों का पालन नहीं किया गया। अब वह दूसरी बार उसी तरह 45 और नियुक्तियां करना चाहते थे लेकिन दबाव के कारण रद करना पड़ा। उन्होंने कहा कि इससे पहले केंद्र सरकार ने आउटसोर्सिंग के जरिए सरकारी विभागों में काम करने वाले सफाई कर्मचारी, चपरासी जैसे कई पदों पर आरक्षण खत्म कर दिया है।

अब वह आईएएस जैसे अहम पदों पर भी आरक्षण खत्म कर दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों का हक छीनने की कोशिश की जा रही है। चीमा ने कहा कि पिछले दस वर्षों में मोदी सरकार ने पेट्रोलियम, बैंकिंग, इंश्योरेंस सहित 30 से ज्यादा सरकारी कंपनियों का निजीकरण किया ताकि वहां आरक्षण खत्म हो सके।

‘संविधान और आरक्षण के साथ छेड़छाड़ नहीं करने देंगे’

कैबिनेट मंत्री हरभजन सिंह ईटीओ ने कहा कि केंद्र सरकार लगातार देश के शोषितों और वंचितों का संवैधानिक अधिकार खत्म करने की दिशा में काम कर रही है, लेकिन हम किसी भी कीमत पर भाजपा को संविधान और आरक्षण के साथ छेड़छाड़ नहीं करने देंगे।

उन्होंने कहा कि मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि अगर लोकसभा चुनाव में वे 300 के पार भी चले जाते तो अब तक वे संविधान को खत्म करने की कार्रवाई शुरू कर देते लेकिन लोगों ने इनको 240 पर ही समेट दिया।

लालचंद कटारूचक ने भी मोदी सरकार को घेरा

वहीं, मंत्री लालचंद कटारूचक ने कहा कि मोदी सरकार 2014 में केन्द्र की सत्ता में आने के बाद से ही दलितों और आरक्षण के खिलाफ काम कर रही है।

आप नेता पवन कुमार टीनू ने कहा कि भाजपा और आरएसएस शुरू से ही दलित आरक्षण और संविधान विरोधी है। केंद्र सरकार ही नहीं भाजपा शासित राज्य सरकारें भी आरक्षण विरोधी रही हैं।

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