जौनपुर 17 अप्रैल 2025 :- पूर्वांचल की पुण्यभूमि जौनपुर में स्थित मां शारदा शक्तिपीठ आस्था, अध्यात्म और संस्कृति का एक विलक्षण केंद्र बन चुका है. इस शक्तिपीठ की स्थापना संत राधेश्याम गुप्त जी महाराज एवं मिथिलेश कुमारी द्वारा की गई थी. इन्होंने अपने कुल देवी, मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध मैहर शक्तिपीठ की अधिष्ठात्री मां शारदा की प्रतिमा की स्थापना अपनी निजी भूमि पर करवाई, ताकि जनमानस की आध्यात्मिक सेवा की जा सके. मान्यता है, कि यहां दर्शन से ही मनोकामना पूरी हो जाती है.
प्रतिष्ठा के समय दिव्य ज्योति हुई उत्पन्न
आपको बता दें, यह प्राण प्रतिष्ठा समारोह काशी व अयोध्या के विद्वान आचार्यों की उपस्थिति में दस दिवसीय अनुष्ठान के साथ संपन्न हुआ था. शुभ विक्रम संवत 2049, फाल्गुन शुक्ल पक्ष दशमी, दिन बुधवार, 3 मार्च 1993 को माँ शारदा का प्रथम श्रृंगार एवं आरती मैहर के तत्कालीन प्रधान पूजारी श्री श्री 108 स्वामी देवी प्रसाद जी महाराज के कर कमलों से संपन्न हुई थी. प्रतिष्ठा के समय मां की मूर्ति में दिव्य ज्योति का प्राकट्य हुआ, जिसे श्रद्धालु आज भी अद्भुत अनुभव मानते हैं.
वहीं, स्थापना के बाद मां शारदा के मंदिर में रोज दर्शन, आरती, पूजन की व्यवस्था सुनिश्चित की गई. सन 2001 में संत राधेश्याम गुप्त जी के ब्रह्मलीन होने से पूर्व उन्होंने मंदिर की सतत सेवा एवं संचालन हेतु ‘राधेश्याम गुप्त फाउंडेशन’ नामक एक रजिस्टर्ड चेरीटेबल ट्रस्ट का गठन किया और अपने द्वितीय पुत्र, तत्कालीन महंत स्व. सूर्य प्रकाश जायसवाल को मंदिर की सेवा का दायित्व सौंपा.
दर्शन से मनोकामना होती है पूरी
आपको बता दें, यह शक्तिपीठ न केवल मां शारदा का पूजास्थल है, बल्कि यहां रामायण भवन सहित कई प्रमुख देवी-देवताओं की मूर्तियां भी प्रतिष्ठित हैं, जिनमें सीताराम लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, मां भगवती दुर्गा, मां सरस्वती, भगवान नरसिंह, लक्ष्मी नारायण, श्रीराधा-कृष्ण, समस्त नवग्रह मुनि व पितृगण की भी मूर्ति हैं. श्रद्धालु मानते हैं, कि मां शारदा के इस मंदिर में दर्शन मात्र से ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. यहां आने वाला भक्त न केवल अपने संकटों से मुक्त होता है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का अनुभव करता है. जौनपुर स्थित यह शक्तिपीठ अब एक आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि जनसेवा, योग, उत्सव एवं सांस्कृतिक आयोजनों का भी सक्रिय स्थान बन चुका है.