नई दुल्हन पैरों से थाली धकेलती है, जानें इस परंपरा की वजह

25 नवम्बर 2024 : भारत में हर जनजाति की अपनी विशेष परंपराएं और रीति-रिवाज होते हैं. इनमें से एक है थारू जनजाति, जो उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, और नेपाल में निवास करती है. थारू जनजाति की महिलाएं अपने समुदाय में उच्च स्थान रखती हैं. यहाँ हम जानेंगे कि थारू जनजाति की शादी में एक अजीब लेकिन खास रस्म का पालन कैसे किया जाता है.

दुल्हन की अनोखी रस्म

थारू जनजाति में, जब नई दुल्हन अपने ससुराल में पहली बार खाना बनाती है, तो वह अपने पति को खाना देने के लिए एक अनोखी परंपरा का पालन करती है. दुल्हन थाली में खाना रखकर उसे अपने पैरों से खिसकाकर पति को देती है. यह रस्म, जिसे ‘अपना पराया’ कहा जाता है, पति-पत्नी के बीच के बंधन को मजबूत करने का प्रतीक है.

पति का प्रेमपूर्ण अभिवादन

जब दुल्हन थाली को पैरों से पति के पास पहुंचाती है, तो दूल्हा इसे पहले अपने सिर पर लगाता है. यह परंपरा दर्शाती है कि वह अपनी पत्नी का सम्मान करता है और उनकी मेहनत को मान्यता देता है. इसके बाद वह खुशी-खुशी उस भोजन का आनंद लेता है.

थारू जनजाति का सांस्कृतिक महत्व

थारू जनजाति की यह रस्म केवल एक शादी की परंपरा नहीं है, बल्कि यह उनकी सांस्कृतिक पहचान का एक हिस्सा है. ये लोग जंगलों, पहाड़ों और नदियों के आसपास रहते हैं, और उनकी जीवनशैली में प्राकृतिक तत्वों का गहरा समावेश है. इस तरह की रस्में उनके संस्कार और संस्कृति को प्रदर्शित करती हैं.

सामाजिक ढांचे में महिला का स्थान

थारू जनजाति में महिलाओं को पुरुषों से उच्च स्थान प्राप्त है. इस परंपरा के माध्यम से यह भी दिखाया जाता है कि दुल्हन का स्थान समाज में कितना महत्वपूर्ण है. दुल्हन के इस कार्य के जरिए परिवार और समुदाय में उसकी भूमिका को और मजबूत किया जाता है. थारू जनजाति की ये अनोखी परंपराएं हमें यह सिखाती हैं कि शादी केवल एक बंधन नहीं है, बल्कि यह प्रेम, सम्मान और परंपरा का एक गहरा संबंध है. इस तरह की रीतियों से हमें उनके संस्कृति और जीवनशैली की अद्भुत झलक मिलती है. थारू जनजाति की परंपराएं न केवल उनके जीवन को समृद्ध बनाती हैं, बल्कि सामाजिक संरचना में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को भी उजागर करती हैं.

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