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जींद रोडवेज बसें असुरक्षित, फर्स्ट एड बॉक्स भी खाली

जींद 18 नवम्बर 2024 हरियाणा में जहां परिवहन विभाग रोडवेज बसों में सुरक्षा का दावा कर रहा है तो अधिकांश बसों में आग से बचने के साधन तक नहीं हैं। डिपो की 169 बसों में रोजाना 15 से 16 हजार यात्री सफर करते हैं। जिससे डिपो को हर रोज 10 से 12 लाख रुपए का राजस्व मिलता है। इसके बाद भी रोडवेज बसों में यात्रियों की सुविधा के लिए कोई उपकरण नहीं है। 

जींद डिपो की कुल 169 बसों में किलोमीटर स्कीम की 37 बसें शामिल हैं। इनमें से अधिकांश बसों में फर्स्ट ऐड बॉक्स में दवाइयां तक ​​नहीं हैं। 40 से ज्यादा पुरानी बसों में अग्निशमन यंत्र नहीं हैं या फिर एक्सपायर हो चुके हैं। अग्निशमन यंत्रों पर तारीख भी अंकित नहीं है कि वे कब भरे गए या कब तक इस्तेमाल किए जा सकते हैं। पुरानी बसों में फॉग लाइट नहीं हैं। इसके बावजूद विभाग ने इसकी जांच तक नहीं की है। 

बसों में सफर करते समय अधिकतर महिलाएं व पुरुष बीमार पड़ते हैं। जिसके लिए प्राथमिक उपचार के लिए बस में फर्स्ट एड बॉक्स होना जरूरी है, ताकि ऐसे यात्रियों को समय पर दवाइयां दी जा सकें। बसों में सफर करते समय फर्स्ट एड किट में डैटॉल, कॉटन, बैंडेज व अन्य कई प्रकार की दवाइयां रखी जाती हैं। किट में आपातकालीन स्थिति में प्रयोग होने वाली दवाइयां रखना जरूरी हैं।

कुछ दिन पहले ही बस हुई दुर्घटनाग्रस्त

कुछ दिन पहले जींद डिपो की एक बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। रविवार को चंडीगढ़ से जींद आ रही जींद डिपो की बस को पिहोवा के पास पीछे से ट्रक ने टक्कर मार दी थी। इसमें चालक अजीत पाल व परिचालक सुदीप समेत 15 यात्री घायल हो गए थे। इस दौरान भी बस में प्राथमिक उपचार बॉक्स में दवाइयां नहीं थी। घायलों को उपचार के लिए नजदीकी अस्पताल ले जाया गया। जिसमें चालक, परिचालक व एक यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए। जबकि अन्य यात्री मामूली रूप से घायल हुए हैं। 

फॉग लाइटें लगाई जा रही हैं: महाप्रबंधक

जींद डिपो के महाप्रबंधक राहुल जैन ने बताया कि जिन बसों में अग्निशमन यंत्र नहीं हैं, उनमें भी यंत्र रखे जाऐंगे। डिपो की जिन पुरानी बसों में फॉग लाइटें नहीं हैं, उनमें लाइटें लगाई जा रही हैं। बसों में प्राथमिक उपचार बॉक्स में दवाइयां रखने के संबंध में रेडक्रॉस से चर्चा की जाएगी।

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