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हरियाणा में BJP के लिए जीत अनिवार्य, वरना बढ़ सकता है खतरा!

जालंधर 18 सितम्बर 2024 : लोकसभा चुनावों के बाद जम्मू-कश्मीर में हो रहे विधानसभा चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक  दल अपनी तरफ से जोर आजमाइश कर रहें हैं लेकिन इस सब के बीच भारतीय जनता पार्टी  की हरियाणा को लेकर जो चिंता है वह शायद किसी और पार्टी में नहीं है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली चुनावी रैली में भाग लिया और इस रैली से भाजपा के लोगों में एक उम्मीद जागी कि शायद उनकी रैली से ही पार्टी को राज्य में कुछ राहत मिल जाए क्योंकि पार्टी पिछले काफी समय से आंतरिक विरोध से लेकर इस्तीफों की झड़ी से जूझ रही है।

पहले ही यू.पी. में लगे झटके से नहीं उभरी पार्टी
वैसे भी हरियाणा में भाजपा को अगर सफलता नहीं मिलती तो यह पार्टी  के लिए बड़ा धक्का होगा क्योंकि लोकसभा चुनावों के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है। इस चुनाव में अगर भाजपा का नुकसान होता है तो विपक्ष के लिए यह बड़ी जीत होगी। पंजाब, हिमाचल तथा दिल्ली के बाद अगर हरियाणा भी विपक्ष के हाथ में जाता है तो यह भाजपा के लिए बड़ा झटका होगा।  भाजपा नेताओं का नाम न छापने के आधार पर कहना है कि किसानों के आंदोलन ने भाजपा को बड़ी चोट पहुंचाई है और अब हरियाणा के बॉर्डर पर बैठे किसान भाजपा के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। लोकसभा चुनावों में भाजपा को उत्तर प्रदेश में जो झटका लगा है पार्टी अभी उस से ही उभर नहीं पाई है। ऊपर से अगर हरियाणा भी हाथ से निकल जाता है तो कई प्लेटफार्म पर पार्टी के नेताओं का बोलना मुश्किल हो जाएगा।

हरियाणा ना मिला तो हर विरोध पहुंच जाएगा दिल्ली

हरियाणा में क्योंकि हाल ही में भाजपा की सरकार रही है तो दिल्ली की तरफ कूच करने वाले किसान संगठन राजधानी से कई सौ किलोमीटर दूर रोक लिए गए ताकि यह रोष प्रदर्शन राष्ट्रीय मुद्दा न बन जाए। नेताओं को चिंता है कि अगर हरियाणा में सरकार भाजपा के अलावा किसी और पार्टी की बन गई तो ऐसे विरोध प्रदर्शनों को दिल्ली जाने से रोकना मुश्किल होगा।

गुरुग्राम जैसे ‘मोस्ट इनवेसमेंट’ वाले इलाके निकल जाएंगे हाथ से
इसके अलावा हरियाणा को खो देने के डर के पीछे जो एक बड़ा कारण है वह है गुरूग्राम। यह शहर नोएडा के साथ लगता इलाका है तथा तेजी से विकसित हो रहा है। उत्तर भारत में इस इलाके में सबसे ज्यादा रियल एस्टेट का कारोबार है तथा यहां पर सबसे ज्यादा इन्वेस्टमेंट हो रही है। ऐसे दो इलाके हैदराबाद तथा बैंगलूरू पहले से ही कांग्रेस की सत्ता वाले राज्यों में आते हैं और अगर गुरुग्राम भी हाथ से निकल गया तो तेजी से बढ़ रहे मेट्रो क्षेत्र सारे के सारे कांग्रेस के हाथ में चले जाएंगे। भाजपा के नेताओं को यह चिंता है कि अगर एक के बाद एक कमाऊ इलाके हाथ से निकल गए तो आने वाले  समय में भाजपा का हाल भी कांग्रेस जैसा न हो। कांग्रेस भी पहले धीरे-धीरे राज्य हारते हुए केंद्र से भी आउट हो गई थी।

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