जालंधर 12 अप्रैल 2025: जालंधर नगर निगम के मेयर वनीत धीर ने 11 जनवरी को पद संभाला था। कल उन्हें इस पोस्ट पर बैठे 3 महीने पूरे हो चुके हैं। स्मार्ट सिटी के बचे खुचे सपने को साकार करने और नगर निगम के बिगड़ चुके सिस्टम को सुधारने के लिए उनके पास अब एक साल से भी कम समय बचा है।
पंजाब में 2027 की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले 2026 का साल चुनावी गतिविधियों में बीत जाएगा। ऐसे में आम आदमी पार्टी और मेयर दोनों को भली-भांति पता है कि जालंधर नगर निगम की परफॉर्मेंस ही पार्टी की चुनावी सफलता की कुंजी होगी। पिछले तीन सालों से ठप पड़े निगम के सिस्टम को सुधारने में मेयर धीर की कोशिशें उम्मीद की किरण जगा रही हैं, लेकिन चुनौतियों का पहाड़ भी कम नहीं है।
पटरी से उतरा हुआ है नगर निगम का सिस्टम, सुधारने में लगे हुए हैं मेयर
मेयर वनीत धीर कोई नया चेहरा नहीं हैं। 13-14 साल से अपने वार्ड में नागरिक सुविधाओं के लिए काम करते हुए उन्होंने निगम की लापरवाही को करीब से देखा है। खुद इसके भुक्तभोगी रहे धीर ने मेयर बनने के बाद सिस्टम को दुरुस्त करने का बीड़ा उठाया। शुरुआती दिनों में उन्हें अफसरशाही की लापरवाही, नालायकी और यूनियनों के दबाव का सामना करना पड़ा। कुछ अधिकारियों ने सहयोग न देकर उन्हें नाकाम करने की कोशिश की, लेकिन धीर ने सख्त रवैया अपनाया, गुस्सा दिखाया, और नाराजगी जताकर सिस्टम को हिलाना शुरू किया।
पिछले तीन महीनों में धीर ने कई मोर्चों पर प्रगति के संकेत दिए हैं। साफ-सफाई और सीवर सिस्टम की बदहाली को सुधारने के लिए कदम उठाए गए हैं। कई सड़कों में सुधार की उम्मीद शुरू हुई है, और कूड़े के डंपों को व्यवस्थित किया गया है। डॉग कंपाउंड ने काम शुरू कर दिया है और बिल्डिंग विभाग में भी चुस्ती दिख रही है। वैस्ट विधानसभा क्षेत्र, जो पहले बिल्कुल उपेक्षित था, वहां अब लोगों की समस्याओं की सुनवाई होने लगी है। बर्ल्टन पार्क और वरियाणा बायोमाइनिंग प्रोजैक्ट को लेकर भी उम्मीद जगी है। प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी से सौंदर्यीकरण प्रोजैक्टों में तेजी आई है, और हॉर्टिकल्चर विभाग में भी सुधार के संकेत दिख रहे हैं।
तीन साल से ठप्प पड़े सिस्टम को पटरी पर लाना है मुख्य चैलेंज
पिछले तीन सालों से नगर निगम में चुनाव न होने के कारण जनता की सुनवाई लगभग बंद थी। सिस्टम लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया था। मेयर धीर ने इस ठप्प पड़े तंत्र को फिर से जीवंत करने का प्रयास शुरू किया है। एडहॉक कमेटियों का गठन, विभागों में जवाबदेही बढ़ाने और लंबित प्रोजैक्टों को गति देने जैसे कदम उठाए गए हैं। उनकी कोशिशों से सिस्टम धीरे-धीरे पटरी पर आने लगा है, लेकिन अभी भी साफ-सफाई और सीवर व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
आर्थिक तंगी और अफसरशाही की बाधाएं
मेयर के सामने सबसे बड़ी चुनौती नगर निगम की आर्थिक तंगी है। पिछले 8-10 साल से शहर के विज्ञापन टैंडर सफल नहीं हो पाए, जिसने निगम की आय को बुरी तरह प्रभावित किया है। अफसरशाही और ठेकेदारों का गठजोड़ तोड़ना, भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ना और लापरवाह सिस्टम को चुस्त-दुरुस्त करना मेयर वनीत धीर की प्राथमिकताओं में शामिल है। नए प्रोजैक्ट लाने और सीमित साधनों से बेहतर परिणाम देने का दबाव भी उन पर है। इसके अलावा कुछ अपने ही लोग पीठ पीछे साजिशें रच रहे हैं, और कई प्रैशर ग्रुप अपने फायदे के लिए जोड़-तोड़ में जुटे हैं।
जनता की उम्मीदें और राजनीतिक दांव
जालंधर की जनता को मेयर से बड़ी उम्मीदें हैं। स्थानीय निवासी साफ कहते हैं कि पहले निगम में कोई सुनवाई नहीं थी। अब मेयर के रूप में वनीत धीर कुछ कर रहे हैं, लेकिन साफ-सफाई और सीवर की हालत जल्दी सुधरनी चाहिए। वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि सुधार की गति अभी धीमी है। आम आदमी पार्टी के लिए जालंधर निगम की परफॉर्मेंस 2027 के विधानसभा चुनावों में गेम-चेंजर साबित हो सकती है। अगर मेयर धीर निगम के सिस्टम को दुरुस्त कर जनता की समस्याओं का समाधान कर पाए तो यह पार्टी के लिए बड़ा फायदा होगा।
आने वाले दिनों में होगी जज्बे की परीक्षा
मेयर वनीत धीर का जज्बा और प्रैक्टिकल अनुभव उन्हें लंबी पारी का खिलाड़ी दिखाता तो है और पिछले तीन महीनों का उनका कार्यकाल भी यह संकेत देता है कि अगर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व और स्थानीय संगठन उनका साथ दें तो जालंधर की तस्वीर बदल सकती है। आर्थिक तंगी, लापरवाह अफसरशाही, और भ्रष्टाचार जैसी चुनौतियां कठिन हैं, लेकिन धीर के साहसिक फैसले और काम के प्रति समर्पण शहरवासियों में उम्मीद जगा रहे हैं। आने वाले महीने मेयर और जालंधर के लिए निर्णायक होंगे। क्या वनीत धीर निगम के बिगड़े सिस्टम को पूरी तरह दुरुस्त कर पाएंगे और स्मार्ट सिटी के सपने को हकीकत में बदल पाएंगे? यह समय और उनके फैसले ही बताएंगे।