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गिरिडीह के इस चमत्कारी मंदिर में पूजा से बदल जाता है भाग्य

गिरिडीह 02 अप्रैल 2025 . चैती नवरात्र का त्योहार शुरू हो गया है. इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी. इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाने की तैयारियां जोरों पर हैं. गिरिडीह में एक प्राचीन मां दुर्गा का मंदिर है, जो श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है. यहां हर दिन भक्त पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं. नवरात्रि के अवसर पर इस मंदिर में विशेष तैयारियां की जा रही हैं.

गिरिडीह के कोलडीहा में स्थित चैती दुर्गा मंडा काफी प्रसिद्ध है. यहां श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए आते हैं. कहा जाता है कि इस मंदिर में मांगी गई सभी मुरादें पूरी होती हैं. यही वजह है कि यह स्थान भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1932 में हुआ था. तब से यहां मां दुर्गा, बजरंगबली और भगवान भोलेनाथ की मूर्तियां स्थापित हैं.

मंदिर निर्माण की रोचक कहानी
इस मंदिर के निर्माण के पीछे एक रोचक कहानी है. मंदिर का निर्माण धर्म नारायण सिंह ने वर्ष 1932 में कराया था. आज उनकी चौथी पीढ़ी इस मंदिर की देखभाल कर रही है. बताया जाता है कि धर्म नारायण सिंह को कोई संतान नहीं थी. उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए माता दुर्गा से मन्नत मांगी. कुछ समय बाद उनकी संतान हुई. इसके बाद उन्होंने मंदिर बनवाने का संकल्प लिया और उसका निर्माण कराया.

मंदिर के मुख्य यजमान ने दी जानकारी
लोकल18 से बात करते हुए मंदिर के मुख्य यजमान प्रदीप सिंह ने बताया कि यह मंदिर उनके पूर्वजों द्वारा बनवाया गया था. यहां वर्ष 1932 से ही पूजा-अर्चना की जा रही है. उन्होंने कहा कि उनके परदादा धर्म नारायण सिंह ने संतान प्राप्ति की मन्नत मांगी थी और जब उनकी इच्छा पूरी हुई तो उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया. उनकी चौथी पीढ़ी आज भी इस मंदिर की देखभाल कर रही है.

इस मंदिर में दुर्गा पूजा और नवरात्रि के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इसके अलावा, मंदिर की भव्य सजावट भी की जाती है. श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां आकर मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

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