उदयपुर 30 दिसंबर 2024. उदयपुर में शिल्पग्राम की शुरुवात हो गई है. ‘रिदम ऑफ इंडिया’ और ‘कलर्स ऑफ इंडिया’ कार्यक्रमों ने दर्शकों को भारतीय लोक संस्कृति और संगीत की अनूठी विरासत से रूबरू कराया. लोक वाद्य यंत्रों और पारंपरिक नृत्यों का यह अद्वितीय संगम भारतीय विविधता का जश्न मना रहा है. पहला कार्यक्रम ‘रिदम ऑफ इंडिया’ लोक वाद्यों की धुनों के साथ शुरू हुआ. महाराष्ट्र की ढ़ोलकी की शुरुआत ने माहौल में उत्साह भरा. बाड़मेर के खड़ताल, मटका और राजस्थान के भपंग जैसे दुर्लभ वाद्ययंत्रों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया. पंजाब के ढ़ोल और कर्नाटक के थपट्टम की गूंज ने मुक्ताकाशी रंगमंच पर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ ऊर्जा भर दी. इसके बाद लोक कलाकारों ने नृत्य के माध्यम से अपनी कला का प्रदर्शन किया.
अलग-अलग राज्य के नृत्य ने जीता दिल
दूसरा कार्यक्रम ‘कलर्स ऑफ इंडिया’ विविध नृत्यों की रंगारंग प्रस्तुति लेकर आया. गोवा के देखणी नृत्य से शुरुआत हुई, जिसमें पुर्तगाली प्रभाव का सजीव चित्रण किया गया. मणिपुर का लाई हरोबा नृत्य, कश्मीर का रोफ और जयपुर घराने का शुद्ध कत्थक दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहे. राजस्थान के गैर और चरी नृत्य ने भी खूब तालियां बटोरीं.
200 से अधिक कलाकारों का एक साथ सामूहिक नृत्य
गुजरात का तलवार रास और कर्नाटक के कठपुतली नृत्य ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया. हिमाचल के छपेली नृत्य और पंजाब की लुड्डी ने माहौल को जीवंत बना दिया. मंच पर जब 200 से अधिक कलाकारों ने सामूहिक नृत्य प्रस्तुत किया, तो शिल्पग्राम झूम उठा.
राज्यपाल ने की भारतीय संस्कृति की प्रशंसा
शाम को राज्यपाल बागड़े ने मेले का अवलोकन किया. उन्होंने कहा, ‘भारतीय संस्कृति की जड़ें इतनी गहरी हैं कि इसे कोई मिटा नहीं सकता.उन्होंने सभी से शिल्पकारों के स्टॉल से खरीदारी करने की अपील की.’
400 से अधिक हस्तशिल्प स्टॉल
इस मेले में 400 से अधिक हस्तशिल्प स्टॉल, व्यंजनों की विभिन्न किस्में और सांस्कृतिक कार्यक्रम आकर्षण का केंद्र हैं. सुबह 10 बजे से रात तक चलने वाले इस मेले में हर उम्र के लोग भारतीय संस्कृति के विभिन्न रंगों का आनंद ले सकते हैं. यह आयोजन 30 दिसंबर तक जारी रहेगा.