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पंजाब सरकार का कॉलोनाइजरों के खिलाफ कठोर स्थिति

2 जुलाई जालंधर : पंजाब सरकार ने अवैध कॉलोनाइजरों पर शिकंजा कसने को लेकर एक कदम और बढ़ाते हुए नैशनल जैनरिक डाक्टूमैंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एन.जी.डी.आर.एस.) पोर्टल में नए क्लाज को जोड़ दिया है जिसके तहत अब किसी भी प्रापर्टी की रजिस्ट्री कराने दौरान कालोनाइजर को अपनी अप्रूव्ड कालोनी के लाइसैंस नंबर/ टी.एस. नंबर/रेरा नंबर की जानकारी देने के अलावा लाइसैंस जारी होने की तारीख, कालोनी का नाम व कालोनाइजर के पैन नंबर की समूचित जानकारी देनी होगी। एन.जी.डी.आर.एस. पोर्टल में यह नया क्लाज को आज से लागू कर दिया गया है, जिसके तहत अब रजिस्ट्री कराने दौरान सब रजिस्ट्रार कार्यालय में दस्तावेजों को अपलोड़ करने से पहले यह जानकारियां भरना अनिवार्य हो गया है।

शनिवार और रविवार को सरकारी अवकाश होने के बाद आज जब सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में कामकाज शुरू हुआ तो पोर्टल में उक्त संबंधित क्लाज दिखाई दिए जिसके उपरांत सब रजिस्ट्रार और कर्मचारियों को इस नए क्लाज संबंधित पता चला, जिसके उपरांत सब रजिस्ट्रार कार्यालय में राजिस्ट्री की मंजूरी को लेकर आने वाले हरेक दस्तावेज को खंगाला गया और उसमें शामिल सभी जानकारियों को पोर्टल में अपलोड़ किया गया, जिसके उपरांत ही पोर्टल में आनलाइन रजिस्ट्री की प्रक्रिया आगे बढ़ सकी।

उल्लेखनीय है कि कोई भी रजिस्ट्री कराने दौरान विक्रेता और खरीदार डीड राइटर के पास जाते हैं और ऑनलाइन अप्वाइंटमैंट लेते हुए जायदाद के कागजात जैसे जमीन का खसरा नंबर, सौदे की शर्तें, गवाहों की जानकारी, संबंधित क्षेत्र का कलैक्टर रेट, जमीन के खरीदार और विक्रेता की जानकारी सहित अन्य बिंदुओं को दर्ज कराते हैं। जिसकी जांच करने के बाद पता लगता है कि प्रॉपर्टी डील के हिसाब से ऑनलाइन स्टांप पेपर कितने के खरीदने है और कितनी रजिस्ट्री फीस बनती है। इसके उपरांत सभी जरूरी दस्तावेज पूरे करने उपरांत नंबरदार सब रजिस्ट्रार/तहसीलदार के पास जाने से पहले सभी दस्तावेजों का तस्दीक करता है।

कार्यालय में दस्तावेजों को आनलाइन अपलोड करने के उपरांत ही सब रजिस्ट्रार/ तहसीलदार के सामने विक्रेता और खरीदार दोनों पक्ष की आनलाइन फोटो खींचने के बाद दस्तावेज पर अपने हस्ताक्षर करते हैं। अधिकारी के हस्ताक्षर होने के बाद रजिस्ट्री को मंजूरी मिल जाती है।

अब नए सिस्टम को अपग्रेड करने से कथित भ्रष्टाचार और अवैध कालोनाइजरों पर नकेल कस जाएगी क्योंकि वह अपनी कालोनी से संबंधित जानकारी छुपा कर रजिस्ट्री नहीं करा सकेंगे क्योंकि पोर्टल में अपलोड़ किए लाइसैंस नंबर व अन्य जानकारियां अगर गलत साबित हुई तो वह पकड़ में आ जाएगी।

1995 से पहले बनी कॉलोनियों व पब्लिक स्ट्रीट के तहत आ चुकी प्रार्प्टी मालिकों के लिए बनी आफत

पंजाब सरकार ने राज्य भर में कुकुरमुत्तों की भांति अवैध कालोनाइजरों और उनके द्वारा नियमों को ताक पर रखकर काटी गई कालोनियों पर शिकंजा कसते हुए नगर निगम, पुड्डा या संबंधित विभाग से नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एन.ओ.सी) के बिना रजिस्ट्री पर रोक लगा रखी है। सरकार के आदेश वर्ष 1995 से पहले काटी गई कालोनियों पर अनिवार्य नहीं किए गए हैं, जिसके तहत किसी भी प्रापर्टी मालिक के पास 1995 से पहले की रजिस्ट्री है तो उसे नई रजिस्ट्री कराने दौरान एन.ओ.सी की कोई जरूरत नहीं होती।

इसके अलावा नगर निगम की सीमा में आने वाली लाल लकीर की संपत्तियों व घोषित पब्लिक स्ट्रीट पर भी एन.ओ.सी की छूट है। परंतु पंजाब सरकार द्वारा एन.जी.डी.आर.एस. पोर्टल में नए बनाए क्लाज ऐसे प्रापर्टी विक्रेताओं व खरीदारों के लिए आफत साबित हुए है, क्योंकि सरकार ने कालोनी का लाइसैंस नबंर अपलोड़ करना अनिवार्य कर दिया है परंतु जिन लोगों ने 1995 से पहले शहर या उससे पहले काटी गई अवैध कालोनियों या पुराने रिहयाशी व कमर्शियल इलाकों में रैजिडेंशल या कमर्शियल प्रापर्टियां को ले रखा है, वह उक्त प्रापर्टियों की रजिस्ट्री दौरान लाइसैंस नंबर कहा से लाएंगे और बिना नंबर डाले आज दस्तावेज अपलोड़ नही हो सके है। क्योंकि सरकार ने उक्त प्रापर्टियों संबंधी कोई अलग कालम नही बनाया है। जिस कारण ऐसी प्रापर्टीयों के खरीदारों व विक्रेताओं की मुश्किले बढ़ सकती है।

नए क्लाज में पुरानी प्रॉपर्टी का कालम न होने संबंधी विभाग को लिखा : मंजीत सिंह

इस संबंध में सब रजिस्ट्रार-2 मंजीत सिंह ने बताया कि पंजाब सरकार के आदेशों मुताबिक वर्ष 1995 के बाद में काटी गई किसी भी कालोनी की प्रापर्टी की रजिस्ट्री बिना एन.ओ.सी. के नहीं की जाती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एन.जी.डी.आर.एस. पोर्टल में जो नए क्लाज को शामिल किया है। वह जानकारियां पहले भी दस्तावेजों में लिखी जाती थी, जैसे कि कालोनी का नाम, कालोनी का लाइसैंस नंबर, रेरा नंबर व तारीख इत्यादि का पूरा जिक्र हरेक रजिस्ट्री में शामिल होता रहा है, उसको चैक करने के बाद ही रजिस्ट्री दस्तावेज को अप्रूवल दी जाती है।

उन्होंने कहा कि बर्षों पुरानी प्रापर्टी या 1995 से पहले काटी गई कॉलोनियों के लिए पोर्टल में कोई कालम न होने संबंधी विभाग के उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया है और उम्मीद है कि आने वाले 2-3 दिनों में इस दिक्कत का भी समाधान हो जाएगा।

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